10 जुलाई 2012
नई दिल्ली। तमिलनाडु में कुडनकुलम परमाणु बिजली परियोजना (केएनपीपी) का विरोध कर रहे लोगों को समझाने-बुझाने के लिए मनोचिकित्सकों की नियुक्ति पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से रिपोर्ट तलब की है। इसका खुलासा सूचना का अधिकार (आरटीआई) के कार्यकर्ता सुभाष चंद्र अग्रवाल द्वारा एनएचआरसी से इस कानून के तहत मांगी गई जानकारी से हुआ है। अग्रवाल की याचिका के जवाब में एनएचआरसी के कानून प्रभाग ने कहा, "इस तरह की रिपोर्ट है कि केंद्र सरकार ने तमिलनाडु में केएनपीपी का विरोध करने वालों को शांत कराने के लिए मनोचिकित्सकों को नियुक्त करने का निर्णय लिया है। यह भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में अवरोध डालने जैसा है।"
अग्रवाल के सवाल पूछे जाने पर एनएचआरसी ने केंद्रीय गृह सचिव को भी नोटिस जारी किया है। आयोग ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से 25 जुलाई तक रिपोर्ट मांगी है। आयोग ने कहा कि मामले की जन सुनवाई चेन्नई में अगस्त के पहले सप्ताह में होगी।
इस बीच, आरटीआई कार्यकर्ता अग्रवाल ने कहा कि तमिलनाडु में केएनपीपी का विरोध करने वालों को समझाने-बुझाने के लिए मनोचिकित्सकों की नियुक्ति का केंद्र सरकार का निर्णय 'अमानवीय' है और एनएचआरसी को इस मुद्दे पर संज्ञान लेना चाहिए।
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